साइक्लोन का नाम कैसे रखा जाता है जानिए पूरी प्रोसेस

जब भी कोई साइक्लोन आता है तो उसका नाम अलग होता है जैसे बिपरजॉय, यास, जवाद, असानी आदि

हमारे मन में यह प्रश्न हमेशा रहता है की यह नाम कैसे दिए जाते है 

आज हम आपको साइक्लोन का नाम कैसे दिया जाता है उसकी पूरी जानकारी देंगे

1950 तक तूफानों को उनके सन के हिसाब से जाना जाता था, जैसे 1946 ए, 1946 बी । 1950 के बाद तूफानों के फीमेल नाम और 1979 से मेल नाम भी रखे जाने लगे।

विश्व मौसम विभाग . और इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (ESCAP) ने मिलकर 1972 में ट्रॉपिकल साइक्लोन पट पैनल बनाया है।

इसमें 13 सदस्य देश हैं, जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले तूफान का नाम सुझाते हैं।

ये देश हैं- बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, UAE और यमन ।

तूफानों को नाम देने की प्रोसेस 2004 से शुरू हुई थी। अल्फाबेटिकल ऑर्डर में पहला मौका बांग्लादेश को मिला। उसने पहले तूफान को ओनिल नाम दिया था।

अप्रैल 2020 में तूफानों के नाम की नई लिस्ट जारी की थी। इसमें निसर्ग,अर्नब आग, व्योम, जैसे 160 नाम हैं।

बिपरजॉय से पहले मई में मोका तूफान आया था, जिसने बांग्लादेश और म्यांमार में तबाही मचाई थी। इस तूफान को यमन ने नाम दिया था।

उत्तरी हिंदमहासागर में अगला जो भी तूफान आएगा, उसका नाम तेज रखा जाएगा। यह नाम भारत ने सुझाया है।

नाम चुनते वक्त ध्यान रखना होता है कि ये किसी व्यक्ति या समूह की भावनाएं आहत न करे। राजनीतिक शख्सियतों और धर्म से जुड़े नाम नहीं रखे जाते हैं।

अमेरिका ने वर्ल्ड वॉट 2 के दौरान चक्रवातों को महिलाओं का नाम देना शुरू किया था। अब अमेरिका में हर साल के लिए 21 नामों की लिस्ट तैयार की जाती है।

अमेरिका में हर अल्फाबेट से एक तूफान का नाम रखा जाता है। Q, U, X, Y,Z से कोई नाम शुरू नहीं होता। इस तरह ये कुल 21 नाम होते हैं।

Biparjoy Cyclone-बिपरजॉय साइक्लोन के बारे में कुछ जरूरी बातें