चेटीचंड जयंती 2023:महोत्सव का महत्व 

विविधता में एकता का प्रतीक भारत एक अद्भुत जगह है, जहां अनगिनत संस्कृतियां एकाकार होती हैं

सिंधी समुदाय का त्योहार चेटीचंड भी एक ऐसा ही त्योहार है।

सिंधियों के लिए, चेटीचंड नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

इस दिन जल के देवता वरुणदेव की पूजा की जाती है।

लोग पूर्णिमा के दिन किसी झील या नदी के किनारे दूध और आटे में चावल मिलाकर ‘अखो’ चढ़ाने जाते हैं।

सिंधी इस त्योहार को भगवान झूलेलाल के जन्मदिन समारोह के रूप में मनाते हैं, जिन्हें उदरोलाल के नाम से भी जाना जाता है।

इस दिन वरुण देव झूलेलाल के रूप में अवतरित हुए थे। उन्होंने सिंधी संस्कृति और हिंदू धर्म को होने से बचाने के लिए अवतार लिया था।

इस दिन जल देवता की पूजा कर उनका आभार जताया जाता है।

हिंदू पंचाग के चैत्र माह को एक महत्वपूर्ण महीना माना जाता है जिसे सिंधी समुदाय द्वारा ‘चेत’ कहा जाता है।

उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दिन को चेटीचंड नाम दिया गया है।