डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को आंध्र प्रदेश के तिरुतानी गाँव में हुआ था। उन्होंने शास्त्रीय शिक्षा प्राप्त करने के बाद फिलॉसफी में डॉक्टरेट हासिल किया।
वर्ष 1952 में भारतीय गणराज्य के पहले उपराष्ट्रपति बनने वाले डॉ. राधाकृष्णन ने अपने पद के दौरान शिक्षा और साहित्य में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए।
वे 'सर्वपल्ली' नाम के साथ जाने जाते हैं, जिसे उनके शिक्षकों ने उनके उद्देश्यकों के प्रति उनकी समर्पण की ओर संकेत के रूप में दिया था।
उन्होंने भारतीय शिक्षा को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए और शिक्षा के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए।
डॉ. राधाकृष्णन के लेखन में उनकी विचारधारा और साहित्यिक योगदान भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें लिखी, जिनमें "भारतीय दर्शन" और "भारतीय दर्शन: एक धार्मिक और दार्शनिक अध्ययन" शामिल हैं।
उन्होंने भारतीय दर्शन और संस्कृति को विश्व में प्रस्तुत किया और उन्हें विश्व भर में एक महान विचारक के रूप में मान्यता दी गई।
उन्हें भारतीय गणराज्य के पहले उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया था। उन्होंने इस पद की श्रेणी बनाई और अपने पदकाल के दौरान एक गर्मी के दिन में ऑफिस में बिना फैन और एयर कंडीशनिंग के काम किया।
1963 में, उन्हें उपराष्ट्रपति के पद से संसद ने मुक्त किया और उन्होंने फिर से शिक्षा क्षेत्र में अपने योगदान को बढ़ावा दिया।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन 17 अप्रैल 1975 को हुआ। उन्होंने अपना जीवन विचारशीलता, शिक्षा, और सेवा में समर्पित किया।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारतीय गणराज्य के पहले उपराष्ट्रपति के रूप में न केवल एक राजनैतिक नेता, बल्कि एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और एक महान विचारक के रूप में भी याद किया जाता है। उनके जीवन और विचारों से हमें अद्भुत प्रेरणा मिलती है।