क्रांतिकारी विचारों का जन्म: भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर (वर्तमान में फैसलाबाद, पाकिस्तान) में हुआ था। 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उनके विचारों पर गहरा प्रभाव डाला और क्रांतिकारी विचारों की नींव रखी।
भगत सिंह का नाम: भगत सिंह का असली नाम "भगत सिंह Sandhu" था, लेकिन उन्हें "भगत सिंह" के नाम से जाना जाता था।
शिक्षा: भगत सिंह ने लाहौर के नेशनल कॉलेज में पढ़ाई की। वह एक प्रतिभाशाली छात्र थे और उन्हें साहित्य, इतिहास और राजनीति में विशेष रुचि थी।
क्रांतिकारी गतिविधियाँ: भगत सिंह ने "हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन" (HSRA) में शामिल होकर क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण क्रांतिकारी घटनाओं में भाग लिया, जिसमें 1928 में सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स की हत्या भी शामिल थी।
फांसी: भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को सॉन्डर्स की हत्या का दोषी ठहराया गया और 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी दे दी गई।
भगत सिंह की वीरता: भगत सिंह ने अपनी फांसी की सजा का डटकर सामना किया। उन्होंने कहा, "मेरा जीवन व्यर्थ नहीं जाएगा। मेरे बलिदान से क्रांति की ज्वाला और अधिक प्रज्वलित होगी।"
भगत सिंह के विचार: भगत सिंह एक समाजवादी विचारधारा के थे। उनका मानना था कि भारत में क्रांति लाकर ही सच्ची आजादी प्राप्त की जा सकती है।
भगत सिंह की रचनाएं: भगत सिंह ने जेल में रहते हुए कई रचनाएं लिखीं, जिनमें "मैं नास्तिक क्यों हूँ?" और "भगत सिंह के पत्र" शामिल हैं।
भगत सिंह का स्मारक: भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के स्मारक को "भगत सिंह स्मारक" के नाम से जाना जाता है। यह स्मारक भारत के पंजाब राज्य के लुधियाना जिले में स्थित है।
भगत सिंह की विरासत: भगत सिंह आज भी भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका साहस, वीरता और देशभक्ति सभी के लिए प्रेरणादायक है।